Tuesday, January 20, 2009

मम्मी, बहलाना-फुसलाना क्या होता है?


बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। वो एक गीत भी तो है-बच्चे मन के सच्चे...। भई बच्चों का मन तो सच्चा है, लेकिन वे भगवान का रूप सिर्फ तभी तक हैं, जब तक वे सही मायने में बच्चे ही रहते हैं। अब वो जमाना तो रहा नहीं कि पंद्रह-सोलह साल से पहले बच्चों को दुनियादारी की खबर नहीं होती थी। उम्र से पहले समझदार होते बच्चे कभी-कभी कुछ ऐसे सवाल पूछ लेते हैं कि सामने वाला टेंशन में आ जाए। अभी कल ही की बात लीजिए। मैं अपने एक मित्र के घर बैठा था कि उनका दस वर्षीय बेटा हाथ में अखबार उठाए वहां आया और पूछने लगा-`मम्मी, बहलाना-फुसलाना क्या होता है?´ भाभी ने पूछा-`तुम ये क्यों पूछ रहे हो?´ बच्चा बोला-`अखबार में छपा है कि चार बच्चों की मम्मी को एक आदमी बहला-फुसलाकर भगा ले गया।´ उसकी बात का भाभी को कोई जवाब नहीं सूझा। वे बोलीं-`आजकल टीवी पर बड़े बेकार प्रोग्राम आते हैं, इसलिए इसके पापा ने इसे टीवी देखने की बजाय अखबार पढ़नेे का शौक अपनाने को कहा है। अब लगता है कि इसके अजीब सवाल फिर सरदर्द बनेंगे।´ भाभी अपनी बात पूरी करतीं, इससे पहले बच्चा फिर बोला-`मम्मी, बताओ न, बहलाना-फुसलाना क्या होता है?´ भाभी ने खुद बचते हुए मेरी ओर इशारा किया-`अपने चाचा से पूछ लो।´ मैं संभलता इससे पहले बच्चा मेरे पास आकर वही सवाल दोहराने लगा। मैंने किसी तरह बच्चे के सवाल का जवाब दिया तो उसने तपाक से एक और सवाल दाग दिया-`जब मैं ही किसी के बहलाने-फुसलाने में नहीं आता तो मम्मी जितनी आंटी को कैसे किसी ने बहला-फुसला लिया।´ अब बच्चे की बात में सच्चाई तो थी पर उसके इस सवाल का जवाब मेरे पास भी नहीं था। `कल जाकर अपनी टीचर से पूछ लेना´ यह कहकर मैंने अपना पीछा छुड़ाया। घर लौटा तो बार-बार उस बच्चे की टीचर का खयाल आ रहा था, पता नहीं वे उस बच्चे के सवाल का जवाब दे पाएंगी या नहीं?
यही बात मैंने अपने एक एडवोकेट मित्र को बताई तो वे हंसते हुए बोले-`हमारे पास तो आए दिन ऐसे केस आते हैं। हम भी फुरसत में बैठकर यही सोचते हैं कि कैसा कानून है हमारा। 5 साल की बच्ची से लेकर 50 साल की महिला को बहलाने-फुसलाने का मुकदमा दर्ज होता है। देखते नहीं हो, प्रेमी जोड़े घर से फरार होते हैं तो केस दर्ज होता है-लड़के ने लड़की को बहला-फुसलाकर भगा लिया। असली माजरा क्या है, ये तो हम वकील, कुर्सी पर बैठे जज और हर कोई जानता है, लेकिन क्या करें कानून स ऊपर कोई है क्या...´

7 comments:

संगीता पुरी said...

यही कहा जा सकता है कि आज के युग में बच्‍चे जल्‍दी समझदार हो रहे हैं...पर बडे देर से।

PD said...

हमें आप अपने पोस्ट से ना बहलाइए.. :)

Udan Tashtari said...

आपने भी बहला फुसला कर टिप्पणी करवा ही ली.

कुश said...

बहला फुसला कर टिप्पणी करवाली.. :)

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत सार्थक विषय पर आपने ध्यान आकर्षित किया साधुवाद
http://manoria.blogspot.com
http://kundkundkahan.blogspot.com

Unknown said...

aaj ki genration hai hi bahut samajhdaar.....:)

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

वाकई कभी कभी बच्चे ऐसे प्रश्न पूछ लेते हैं जिनका जवाब न देते बनता है न कहते