
दोपहर तीन बजे का वक्त होगा। किसी काम से एक परिचित के घर दाखिल हुआ ही था कि मियां-बीवी का जोरदार झगड़ा सुनाई देने लगा। यहां पति को शक है कि पत्नी को कम सुनता है और पत्नी को लगता है कि जब तक ऊंची आवाज में बात ना करे पति पर असर नहीं होता। इसी चक्कर में दोनों का वॉल्यूम हाई रहता है।
आज झगड़े की वजह छोटी थी या बड़ी, इस बारे में सभी की राय अलग-अलग हो सकती है। घटना कुछ इस तरह है। इस घर के इकलौते कमरे की कुंडी ठीक से बंद नहीं होती। पत्नी जी कपड़े बदल रही थीं कि दोपहर भोज के लिए पधारे पति सीधे कमरे में प्रवेश कर गए। इससे पहले पूछा भी कि क्या कर रही हो? जवाब मिला-'जरा रुको, कपड़े बदल रही हूं।' पति को इस आदेश की पालना करना सही नहीं लगा और पति होने का हक जमाते हुए अंदर घुसते ही ऑर्डर दे डाला-'जल्दी करो, बहुत भूख लगी है। खाना गर्म करो।'
पति की इस हरकत से पत्नी तिलमिला गई और युद्ध शुरू हो गया। दोनों में से सही कौन...इसके निर्णय के लिए जज बना डाला मुझे और घटना का ब्यौरा दोनों ने अपने-अपने तरीके से देने लगे। पत्नी की नजर में ये गलत था तो पति का कहना था कि पति से कैसा परदा...
'अभी मेरी शादी नहीं हुईं, इसलिए मैं क्या बोलूं...' यह कहकर वहां से निकल लिया1 सभी की अपनी राय हो सकती हैं1 मुझे यहां पत्नी की बात ज्यादा सही लगी। कुछ लाइनें भी याद आ गईं, जो शायद निदा फाजली साहब की हैं...
अगर तुम समझते हो बीवी घर की इज्जत होती है
तो खुदा के लिए उस इज्जत की खातिर
दरवाजा खुला हो या बंद
हमेशा दस्तक देकर ही घर में दाखिल हुवा करो
14 comments:
शिष्टाचार तो दस्तक की मांग करता है.
पत्नी हर वक्त पत्नी नहीं हो सकती, पतियों को यह सीखना चाहिए।
समीर जी की राय से सहमत हूं।
चाहे पत्नी ही क्यूँ न हो शिष्टाचार तो निभाना ही चाहिए...!
दरवाजे की कुण्डी बजा कर ही प्रवेश करना चाहिए था.
पति होने का मतलब यह नहीं कि आप उसका सम्मान ही न करें ....और आपने ये कोई छोटा सा प्रश्न नहीं उठाया ....अधिकतर घरों के टूटने का यही कारन है ....!!
shistachar ki bat to sab ne kar dali par practical ye hai its all depend on time & mood. pati chahata hai ki patni ke sath shararat kre to galat kya hai. sabhi karate hi hai. vaise bhi ander jakar pati ne rape to nahi kiya khana hi to manga.
patni ne bhi kabhi pati se shararat ki hogi tabh to unake bich me aisa huaa. har nari innocent nahi hoti aur har purush galat nahi hota...
shishtachar ka havala dene ke sath paristhiya dekha kar hi kisi ko doshi karar de sakate hai,
बहुत अच्छा प्रसंग हमारे सामने रखा..शादी तो अभी मेरी भी नहीं हुई
लेकिन कुछ कहना जरुर चाहूँगा की यहाँ पत्नी सही है..क्योंकि पति सब कुछ हो सकता है लेकिन दायरा हर चीज़ का होता है..पत्नी भी पति के लिए सब कुछ होती है..
तो क्या पति जब शराब पीता है तो पत्नी को साथ बैठाकर पीएगा !
पति देव जरा सुधर जाइए !
पत्नी का मन हर वक़्त एक सा नहीं होता !
बहुत अच्छा प्रसंग हमारे सामने रखा..शादी तो अभी मेरी भी नहीं हुई
लेकिन कुछ कहना जरुर चाहूँगा की यहाँ पत्नी सही है..क्योंकि पति सब कुछ हो सकता है लेकिन दायरा हर चीज़ का होता है..पत्नी भी पति के लिए सब कुछ होती है..
तो क्या पति जब शराब पीता है तो पत्नी को साथ बैठाकर पीएगा !
पति देव जरा सुधर जाइए !
पत्नी का मन हर वक़्त एक सा नहीं होता !
समीर जी सही कहते हैं...दस्तक अनिवार्य है...
नीरज
मान सम्मान और शिष्टाचार जरुरी है ..
भाई मुझे तो लगता है कि पत्नी जी किसी और बात से नाराज होंगी .. पतिदेव ने कानूनन गलती करके उन्हे एक मौका दे दिया.
बिना वीकेंड की शोपिंग के मसला सुलझता नहीं दिखता.
पता नहीं यार,कहाँ का क्या कानून है !!सब मूड पर निर्भर होता है,मूड सही है तो सब कुछ सही है ....अगर नहीं तो धडाम-धडाम !! हा..हा..हा..हा..हा..यही गृहस्ती है,बल्ले-बल्ले.....!!
बहुत सटीक प्रश्न है – क्या पति-पत्नी का रिश्ता इतना अनैतिक है कि दरवाज़ा खटखटाना ही भूल जाये
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