Sunday, June 14, 2009

सांभर वड़े और थोड़ा-सा प्यार


पेइंग गेस्ट हाउस में शिफ्ट हुए अभी एक महीना ही हुआ है। अंकल-आंटी की कृपा से बढ़िया खाना तो नसीब हो ही रहा है, लेकिन साथ रहने वाले कुछ जवानों की बातों से दिल भी बाग-बाग रहने लगा है। टेलीफोनिक प्रेमी तो सुबह जगने से लेकर रात को सोने तक नजर आते ही हैं, लेकिन आज नाश्ते के वक्त तो यूं लगा जैसे किसी ने दुखती रग पर हाथ रख दिया हो। डाइनिंग रूम में थे कि श्यामलाल (हमें खाना परोसने वाले साहब) सांभर वड़े और शेक के साथ हाजिर हुए। उन्होंने पांच-पांच वड़े परोसे1 अपन के छोटे-से पेट के लिए तो वो पांच वड़े काफी थे, लेकिन साथ बैठे एक जनाब बोल पड़े-'इससे क्या होगा?' कहते हैं कि सच्चे प्यार में दर्द की पुकार दूर तक जाती है। उन्होंने बोला और ये दर्द साथ के गर्ल्स पीजी हाउस में उनकी मित्र तक पहुंच गया। फोन की घंटी बजी। वे जनाब बाहर निकले और चेहरे पर प्यारी मुस्कान के साथ एक बड़ा प्याला लेकर तुरंत वापस आ गए। प्याले में बड़े ही खूबसूरत अंदाज में सांभर वड़े और ऊपर नारियल की चटनी सजी थी। उनकी खुशी और मुस्कराहट को जैसे मेरी बात ने कम कर दिया। मैंने पूछा-'श्यामलाल तो यहीं है फिर ये वड़े...?´ जवाब मिला-'वो...वो..वो...मेरी फ्रेंड इसी पीजी में रहती है। उसे वड़े पसंद नहीं, सो...´
आगे उन्हें कुछ बोलने की जरूरत नहीं थी। खुद-ब-खुद उनकी भावना अपन समझ गए थे, फिर वड़ों पर प्यार-से सजाई नारियल चटनी भी तो इजहार कर रही थी। मैं सोच रहा था कि काश, कोई हमारे लिए भी यूं ही नारियल चटनी...
आगे कुछ सोच पाता, इससे पहले भगवान ने मेरी भी सुन ली। श्यामलाल जी नारियल चटनी के साथ डाइनिंग रूम में प्रवेश लाए और मुस्कुराते हुए बोले-आपके लिए चटनी तो मैं भूल ही गया था।

8 comments:

Publisher said...

...यानी जी ललचाए, रहा न जाए। चलो भला हो श्यामलाल जी का चटनी तो लाए। नहीं तो आपकी तड़प में वड़ों की वाट लग जाती। चटनी से उनकी शान में भी चार चांद लग गए और आपके स्वाद में भी। लगे रहो।

अजय कुमार झा said...

भाई वाह....कमाल है..जो जो आप सोचते गए ..सब सामने आता गया...बढिया दावत रही..स्वाद हमें भी मिल गया..

राजीव जैन said...

acche lage aapke sambar vade

राज भाटिय़ा said...

भाई आधी रात को खुब याद दिलाई इस "सांभर वड़े की..... अभी तक एक बार ही खाये है.
चलिये आप को चटनी तो मिल गई.

Udan Tashtari said...

सही है..लालच तो लग ही गई!१

TARUN JAIN said...

chatni aur malai se dur raho bhai kai ke charitra in do cheejo ne hi bigad diye

sandeep sharma said...

post ke sambhar vade lajwab
or
tarun ka comment bhi...

Unknown said...

bhai kuch ho na ho hamara shyam lal jarur famous hogaya