Friday, October 17, 2008

बंदा ये बिंदास है...


आज ऑफिस आ रहा था कि एक बाइक मेरे पास आकर रुकी। बाइक पर सवार लड़के ने हेल्मेट उतारकर `हैलो´ बोला तो उसे फौरन पहचान गया। थोड़ी देर बातचीत के बाद मैं रवाना हुआ तो उससे पहली मुलाकात ताजा हो उठी। पिछली फस्र्ट अप्रेल की सुबह नेट ओपन किया तो अपने ऑरकुट अकाउंट में मैसेज पाया-वुड यू लाइक टु एड मी इन योर फ्रेंडशिप लिस्ट? मैसेंजर का प्रोफाइल चैक किया तो कुछ स्मार्ट-सी फोटो के साथ पैशन, फेवरेट मूवी, बुक, टीवी शो आदि हर कॉलम में मॉडलिंग से जुड़ी बातें ही पाईं। नकुल नाम के इस शख्स से शुरू में हाय-हैलो से ’यादा चैटिंग नहीं होती थी पर कुछ दिन बाद जब नकुल ने मोबाइल नंबर दिया तो डेली एसएमएस होने लगे। चार जून को नकुल का बर्थडे था। विश करने के लिए फोन लगाया तो उसने अटेंड नहीं किया और रिप्लाई मैसेज किया-सॉरी, आय एम डेफ एंड डंब। मुझे लगा, नकुल सिर्फ एसएमएस फ्रेंड ही रहना चाहता है, इसलिए झूठ बोल रहा है। कुछ दिन तक मोबाइल के अलावा लैंडलाइन से भी नकुल का नंबर ट्राई करता रहा पर उसने कभी फोन अटेंड नहीं किया। हैरानी की बात तो ये थी कि पांच महीने तक एसएमएस फ्रेंड रहने के बावजूद हम एक-दूसरे के बारे में ’यादा कुछ नहीं जानते थे। जब मैंने नकुल को बताया कि मैं मीडिया से हूं तो उसने मिलने की इच्छा जाहिर की। मैं भी यही चाहता था। बिड़ला मंदिर (जयपुर) मिलना तय हुआ। लगभग साढ़े सात बजे जब नकुल आया तो मुझे देखते ही पहचान गया और मोबाइल में एसएमएस टाइप किया-`हाय, आय एम नकुल।´ मैंने मंदिर के अंदर चलने को कहा तो उसने मना कर दिया, लेकिन बार-बार कहने पर वो राजी हो गया। मंदिर से बाहर निकले तो सीçढ़यों पर बैठ गए। उसने बताया कि उसके पापा और सिस्टर दोनों डॉक्टर हैं पर वह मॉडल बनना चाहता है। कभी-कभी उसकी बात समझने में मुश्किल होती तो वो झट-से मैसेज टाइप करता-`तुम मुझे समझ रहे हो?´ मैं हां कहता तो मुस्कुराकर अपने सिर पर हल्की-सी चपत लगाता। मैं मैसेज टाइप करने लगा-`नाइस मीटिंग यू, मैं भगवान से आपके लिए प्रार्थना करूंगा...´ मैसेज पूरा होता, इससे पहले उसने मेरा हाथ रोक दिया और थैंक्स कहकर उठ गया। चेहरे से लगा कि मेरी दुआ को उसने दया समझा और उसे अच्छा नहीं लगा। मैं कुछ कह पाता, इससे पहले ही मेरा फ्रेंड मुझे रिसीव करने पहुंच गया। हम बाहर निकले और `फिर मिलेंगे´ कहकर चल दिए।नकुल से मिलने के बाद रातभर सोचता रहा उन लोगों के बारे में, जो किसी न किसी रूप में नि:शक्त हैं। इनमें नकुल जैसे बहुत-से लोग ऐसे भी हैं, जो जी रहे हैं पूरी जिंदादिली से। एक हम हैं जो थोड़ा-सा दुख-दर्द आने पर बड़ी-बड़ी शिकायतें करने लगते हैं भगवान से...। सचमुच मूक-बधिर होने के बावजूद नकुल बहुत बिंदास बंदा है।

4 comments:

उन्मुक्त said...

नकुल से मिल कर अच्छा लगा।

seema gupta said...

"wah sach mey nakul bindas hai, or shayad bindas hoker jeena bhee apne aap mey ek kla hai or hr koee iss kla mey maheer nahee hotaa...."

Regards

BrijmohanShrivastava said...

प्रेरणाप्रद आलेख बधाई स्वीकारें /
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""

अनूप शुक्ल said...

बंदा वाकई बिन्दास है। उसके लिये शुभकामनायें!