Saturday, March 7, 2009
वो तो...रांड है!
शीर्षक पढ़कर प्लीज यह मत सोचिएगा कि कुछ अश्लील लिखा है। दरअसल शीर्षक कुछ और भी हो सकता था, लेकिन इन चंद शब्दों का असर जिन साहब पर चाहता हूं, उन्हें ब्लॉग-व्लॉग पढ़ने का शौक नहीं है। ब्लू फिल्मों की तरह कभी-कभार ब्लॉग पर कुछ `ब्लू´ पढ़ने को मिल जाए तो वे नजरें वहीं जमा लेते हैं। इससे पहले की मेरी पोस्ट (गुलाब ज्यादा बिके या कंडोम) भी वे शीर्षक पढ़कर ही पूरी चट कर गए पर अफसोस जैसा मसाला वे चाहते थे, उन्हें नहीं मिला। पिछली पोस्ट लिखकर एक बात तो महसूस हुई कि कंडोम जैसे शब्द लिखनेभर से आपको बहादुर और आधुनिक मान लिया जाता है। पिछली पोस्ट पढ़कर कई परिचितों के फोन आए। `जयपुर जाकर तू बहुत बोल्ड (बहादुर) हो गया है...´ ऐसे कमेंट देने वाला और कोई नहीं, वे ही लोग थे जो दिनभर में अनगिनत बार कंडोम, रांड (वेश्या) और मां...बहन... बोलते हैं। भगवान की दया से अपन को बात करते वक्त मां...बहन... करने की आदत नहीं। अफसोस है कि इस बात की तारीफ कभी किसी ने नहीं की। इतना जरूर सुनने को मिला-ये तो मर्दों की निशानी है। ...खैर छोडि़ए, गाली देकर मर्द बनना अपन के तो आज तक समझ नहीं आया।
बात शुरू हुई थी `वो तो...रांड है!´ अपन के पहचान वाले तो इस तकिया कलाम से ही समझ गए होंगे कि ये किन साहब की बात हो रही है। इन साहब को दुनिया की 99 प्रतिशत महिलाएं वेश्या नजर आती हैं। राह चलती 5 साल की बच्ची हो या 50 साल की महिला...इनकी आंखें बेशर्म होकर ही उठती हैं। करीब दो साल से मेरा इन साहब से परिचय है। इन दो साल में मुझे दो बार भी याद नहीं कि किसी महिला को देखकर इन्होंने उसे वेश्या ना बताया हो। महिला दिवस है तो उसकी तैयारियों में सभी व्यस्त थे। कई फोटोग्राफ सामने थे। मजदूर महिला, राजनीतिज्ञ, खिलाड़ी, ब्यूटिशियन...और भी न जाने कितने। परदे से लेकर खुले मुंह वाली महिलाओं सभी के लिए इन साहब का यही तकिया कलाम-ये तो रांड है...मैं जानता हूं इसे।
मुझे याद है एक बार एक ऐसे लड़के का इंटरव्यू किया था, जो लड़की के वेश में डांस और मॉडलिंग करता है। उसकी एक लाइन चौंकाने वाली थी कि `लड़की होना अपने आपमें चुनौतीभरा है।´ पुरुषों को शिकायत रहती है कि पुरुष दिवस क्यों नहीं मनाया जाता। उस लड़के की बात सभी पुरुषों का जवाब है। महिला होना चुनौतीभरा है, इसलिए महिला दिवस भी है। वे चाहे परदे में रहें, उंगलियां उठाने वाले बाज नहीं आते। बेशर्म हो आंख तो घूंघट व्यर्थ है। महिला दिवस की बधाई। नारीशक्ति को प्रणाम के साथ उन साहब से एक गुजारिश कि अपना तकिया कलाम छोड़ दें, क्योंकि हर औरत वेश्या नहीं होती। औरत मां, बहन, बेटी, पत्नी और भी बहुत खूबसूरत रिश्तों का नाम होती है।
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13 comments:
उन साहब को पुछना कि उनके अपने घर मे कितनी रांडे है शायद उन्हे समझ आ जाये !
" क्योंकि हर औरत वेश्या नहीं होती। औरत मां, बहन, बेटी, पत्नी और भी बहुत खूबसूरत रिश्तों का नाम होती है।"
या ऐसे कहने मे क्या बुराई है कि,हर वेश्या भी आखिरकार वॆसी ही औरत होती है,जो कि माता, बहन,बेटी,पत्नी और देवि के रूप मे पूजी जाती है।
अगर वो वेश्या भी हो इन्हे उसे रांड कहने का अधिकार नही मिल जाता . वैसे ये भाई साहब अपने घर मे कित्ती रांदो को आश्रय दिये हुये है ? आखिर वही से तो इनका ज्ञान रांडो के बारे मे बढा होगा
mere bhai kya farak padta hai...
naam bhi likh dete... pata to chalta...
ratan singh ji se sahmat
इन साहब को दुनिया की 99 प्रतिशत महिलाएं वेश्या नजर आती हैं...
भाई नागपाल इन जनाब से पूछना इन ९९ प्रतिशत महिलायों में से कोई इनकी आदरणीय माँ तो नहीं
badhai bahut hi sundar likha aur sahsik bhi
सब सुझाव दे रहे हैं कि उन साहब से पूछा जाये कि उनके घर में कितनी वेश्याएं है...देखिये सब ऐसा ही क्यूँ सोचते हो...उनके घर की महिलाओं की इसमें कोई गलती नहीं, फिर भी उन पर आरोप...क्यूँ? अगर ऐसा करें भी तो उनमे और हममे क्या फर्क रह जायेगा...
aapse sahmat hoon...
साहस से ज्यादा दुस्साहस...यार गंदे को गंदा कहने की हिम्मत आजकल कहां है किसी में. वैसे, टिप्पणीकारों का गुस्सा वाजिब है पर कुपुत्र को जन्म देने का दोष मां (घर की औरतों) पर मढ़ने का कोई मतलब नहीं, उसकी ज़रूरत भी नहीं
दिलीप जी
आप का ब्लॉग आज पहली बार देखा
इस आलेख में ""हर औरत वेश्या नहीं होती। औरत मां, बहन, बेटी, पत्नी और भी बहुत खूबसूरत रिश्तों का नाम होती है। "" एक यही बात सबसे महत्त्व पूर्ण और अनुकरणीय है
आपका
- विजय
दिलीपराज जी,
यह दुनिया है.. यहां तरह तरह के नमूने मिलते हैं.. सच यह है कि आप किसी दूसरे की मानसिकता नहीं बदल सकते... हां कहीं न कहीं ठोकर खा कर बडे से बडे को भी अक्ल आ ही जाती है.. .. ईश्वर उन साहब को सुबुद्धि दें और आप को लिखते रहने की ऊर्जा.
मोहिन्दर जी
जिन का भी ये तकिया कलाम है, इस से उनकी मानसिकता का पता चलता है और वो ये कि ये आदमी खुद कितनी बड़ी रंड है । जिसे लगभग हर महिला में रंड दिखती है ।
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