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Sunday, March 22, 2009

लड़की होने का फायदा!


एक लड़की ने दूसरी से पूछा-तू अगले जन्म में लड़की होना चाहेगी या लड़का? जवाब मिला-लड़का। हम पर कितनी बंदिशें हैं। बाहर ना जाओ, ये ना पहनो, ये ना खाओ, ज्यादा मत हंसो, कम बोलो...उन्हें कोई कुछ नहीं कहता। लड़का होने में बहुत मजा आता होगा ना?
इन बातों को सुनकर या पढ़कर एक बार चाहे हंसी आए पर ये छोटी-छोटी बातें गहरा दर्द लिए हैं।
लड़की होने का दर्द जो भी है पर कुछ रोज पहले मेरी क्लासमेट्स ने लड़की होने के खूब सारे फायदे गिना डाले। इन्हें सुनकर एक बार तो खुद पर तरस आने लगा।
फाइनल एग्जाम के लिए हमें प्रेक्टिकल तैयार करना था। लास्ट डेट थी 28 फरवरी। रातें जाग-जागकर ढाई-तीन महीने की मेहनत से अपन ने 25 फरवरी तक फाइल तैयार कर ली। राहत की सांस लेते हुए अपनी क्लास की लड़कियों से पूछा तो उनमें से ज्यादातर ने फाइल अभी शुरू भी नहीं की थी। हैरान था कि जिस काम में मुझे ढाई-तीन महीने लग गए, वह ये लड़कियां दो दिन में कैसे कर लेंगी। उन्हीं से पूछा तो पहला जवाब मिला-बॉयफ्रेंड को जिम्मेदारी सौंप दी है, वह किस दिन काम आएगा? कुछ भी करेगा पर 27 शाम तक फाइल तैयार होकर ला देगा।
दूसरी क्लासमेट का जवाब था-कैंटीन के कंप्यूटर सैंटर वाले से बात कर ली है। उसने टाइपिंग शुरू कर दी है। कल तक हो जाएगा।
मैं एक बार फिर हैरान। उसी कंप्यूटर वाले ने हताभर पहले क्लास के लड़कों को यह कहकर मना कर दिया था कि काम ज्यादा है, वो फाइलें तैयार नहीं कर पाएगा।
क्लासमेट को बताया तो जवाब मिला-तुम लड़कों को कंप्यूटर वाला मना कर सकता है पर मैं कहूं तो दो-चार फाइलें और तैयार करवा लाऊं।
वो कैसे?
लड़की होने का कुछ फायदा तो उठाना ही पड़ता है। जरा-सा हंसकर हिल-डुल कर बात करूंगी। वो समझेगा कि मुझ पर लट्टू हो रही है। काम हो जाएगा। उसके बाद तू कौन और मैं कौन? अपना काम बनता, ऐसी-तैसी करवाए जनता।
मैं बोला-देख, लड़की होने का यूं फायदा उठाना गलत बात है।
जवाब मिला-कुछ गलत नहीं है। कोई उल्टा काम थोड़े ना किया है। अगर हमारे हंसने, हिलने-डुलने से लड़के ज्यादा मेहनती और ज्यादा बेवकूफ बनते हैं तो फिर हंसने में कमी क्यों रखें।
मैं क्या बोलता? बात में दम तो है। लड़कियों के हंसनेभर से लड़के बेवकूफ बनते हैं तो गलती लड़कों की ही है। इसे इमोशनल अत्याचार कहें या कुछ और...।

Saturday, March 7, 2009

वो तो...रांड है!


शीर्षक पढ़कर प्लीज यह मत सोचिएगा कि कुछ अश्लील लिखा है। दरअसल शीर्षक कुछ और भी हो सकता था, लेकिन इन चंद शब्दों का असर जिन साहब पर चाहता हूं, उन्हें ब्लॉग-व्लॉग पढ़ने का शौक नहीं है। ब्लू फिल्मों की तरह कभी-कभार ब्लॉग पर कुछ `ब्लू´ पढ़ने को मिल जाए तो वे नजरें वहीं जमा लेते हैं। इससे पहले की मेरी पोस्ट (गुलाब ज्यादा बिके या कंडोम) भी वे शीर्षक पढ़कर ही पूरी चट कर गए पर अफसोस जैसा मसाला वे चाहते थे, उन्हें नहीं मिला। पिछली पोस्ट लिखकर एक बात तो महसूस हुई कि कंडोम जैसे शब्द लिखनेभर से आपको बहादुर और आधुनिक मान लिया जाता है। पिछली पोस्ट पढ़कर कई परिचितों के फोन आए। `जयपुर जाकर तू बहुत बोल्ड (बहादुर) हो गया है...´ ऐसे कमेंट देने वाला और कोई नहीं, वे ही लोग थे जो दिनभर में अनगिनत बार कंडोम, रांड (वेश्या) और मां...बहन... बोलते हैं। भगवान की दया से अपन को बात करते वक्त मां...बहन... करने की आदत नहीं। अफसोस है कि इस बात की तारीफ कभी किसी ने नहीं की। इतना जरूर सुनने को मिला-ये तो मर्दों की निशानी है। ...खैर छोडि़ए, गाली देकर मर्द बनना अपन के तो आज तक समझ नहीं आया।
बात शुरू हुई थी `वो तो...रांड है!´ अपन के पहचान वाले तो इस तकिया कलाम से ही समझ गए होंगे कि ये किन साहब की बात हो रही है। इन साहब को दुनिया की 99 प्रतिशत महिलाएं वेश्या नजर आती हैं। राह चलती 5 साल की बच्ची हो या 50 साल की महिला...इनकी आंखें बेशर्म होकर ही उठती हैं। करीब दो साल से मेरा इन साहब से परिचय है। इन दो साल में मुझे दो बार भी याद नहीं कि किसी महिला को देखकर इन्होंने उसे वेश्या ना बताया हो। महिला दिवस है तो उसकी तैयारियों में सभी व्यस्त थे। कई फोटोग्राफ सामने थे। मजदूर महिला, राजनीतिज्ञ, खिलाड़ी, ब्यूटिशियन...और भी न जाने कितने। परदे से लेकर खुले मुंह वाली महिलाओं सभी के लिए इन साहब का यही तकिया कलाम-ये तो रांड है...मैं जानता हूं इसे।
मुझे याद है एक बार एक ऐसे लड़के का इंटरव्यू किया था, जो लड़की के वेश में डांस और मॉडलिंग करता है। उसकी एक लाइन चौंकाने वाली थी कि `लड़की होना अपने आपमें चुनौतीभरा है।´ पुरुषों को शिकायत रहती है कि पुरुष दिवस क्यों नहीं मनाया जाता। उस लड़के की बात सभी पुरुषों का जवाब है। महिला होना चुनौतीभरा है, इसलिए महिला दिवस भी है। वे चाहे परदे में रहें, उंगलियां उठाने वाले बाज नहीं आते। बेशर्म हो आंख तो घूंघट व्यर्थ है। महिला दिवस की बधाई। नारीशक्ति को प्रणाम के साथ उन साहब से एक गुजारिश कि अपना तकिया कलाम छोड़ दें, क्योंकि हर औरत वेश्या नहीं होती। औरत मां, बहन, बेटी, पत्नी और भी बहुत खूबसूरत रिश्तों का नाम होती है।