Thursday, June 18, 2009

पापा कहते हैं...


पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा...लेकिन जब वे ऐसा ज्यादा ही कहने लगते हैं (खास तौर पर मेरे सामने) तो जाने क्यों खीझ उठता हूं। किसी से भी मिलवाते वक्त मेरा परिचय देने का उनका अंदाज मुझे जरा भी नहीं भाता। बहुत बार तो कह भी जाता हूं-'पापा, मैं अभी इतना बड़ा नहीं हुआ।´ उनका जवाब होता है-'ऐसे कैसे नहीं हुआ। तेरे लेख पढ़कर सब मुझे बधाई देते हैं तो...'
हमेशा उनकी बात बीच में ही काट देता हूं-'बस आप रहने दो। मुझे नहीं पसंद यह सब।'
ऐसी नोक-झोंक आए दिन की बात है, लेकिन मुझे याद नहीं कि मैंने कोई काम कहा हो और उन्होंने ना बोला हो। बहुत बार ऐसा भी हुआ है कि काम उनके बस की बात नहीं होता, फिर भी वे पुरजोर कोशिश तो करते ही हैं।
कुछ रोज पहले फादर्स-डे पर स्टोरी तैयार करने के आदेश हुए। पहले से ही कुछ स्टोरीज पर काम कर रहा था। इतने बिजी शेडयुल में परेशान हो उठा। पापा को बताया कि ऐसे पिता ढूंढने हैं, जिन्होंने सब्जी बेची हो, रिक्शा चलाया हो ऐसा ही कुछ मेहनत-मजदूरी भरा काम कर अपने बच्चे को अफसर बना दिया हो। मेरा कहना था और उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया। दो दिन में ऐसे चार बाप-बेटों के इंटरव्यू उन्होंने करवा दिए। स्टोरी सब्मिट करवाने का आखिरी दिन आया। कुछ फोटोग्राफ पापा ने नहीं भेजे थे। उन्हें फोन कर रहा था, लेकिन वे रिसीव नहीं कर रहे थे। झुंझलाहट और गुस्से में मैंने घर फोन किया। मम्मी से पूछा-'पापा कहां हैं? मुझे डांट पड़ेगी। उन्होंने अब तक फोटो नहीं भेजे...'
मैं बोलता जा रहा था। बमुश्किल सांस लेने को चुप हुआ तो मम्मी बोलीं-'फोन आया था कि खाना खाने नहीं आ पाएंगे। तेरी स्टोरी के फोटो खींचने गए हैं।'
इतना सुनते ही मेरी बोलती बंद हो गई। इसी बुधवार को जब यह स्टोरी प्रकाशित हुई तो जबरदस्त रेस्पोंस मिला। कुछ सेलिब्रिटिज के इंटरव्यू भी मैंने फोन पर किए थे। मुझे उम्मीद थी कि इसका रेस्पोंस ज्यादा मिलेगा, लेकिन पापा की मेहनत से पूरी हुई स्टोरी को पत्रिका के कवर पर जगह मिली। बहुत खुश था। पापा को शुक्रिया कहने के लिए फोन किया। वे बोले-'कंप्यूटर से अपने आप कैसे तुहें फोटो पहुंच जाती है? जब घर आएगा तो मुझे भी ई-मेल करना सिखाना।' बात पूरी होती, इससे पहले पापा के कोई परिचित आ गए। ई-मेल भूलकर वे उनसे बतियाने लगे-'ये देखो, बेटे के दो लेख एकसाथ छपे हैं। बड़ा लेखक बन रहा है। फिल्म स्टार्स से भी बात करता है...'
फोन चालू था। उनकी बातें सुनकर मुझे फिर गुस्सा आ रहा था। मन कर रहा था कि उन्हें कह दूं कि 'पापा, मैं अभी इतना बड़ा नहीं हुआ...´, लेकिन वे बहुत खुश थे, इसलिए कुछ कह न सका...

8 comments:

राज भाटिय़ा said...

अरे जब तुम बाप बनो गे तो देखना बच्चा बाप को हमेशा बच्चा ही लगता है, लेकिन उस की खुबियां बाप कॊ अपनी खुबिया लगती है, ओर खुशी से वो पागल हो जाता है, फ़िर सभी को बताता है देखो यह मेरे होन हार बेटे ने किया है.
आप के पिता जी भी यही करते है, तुम्हे बहुत प्यार करते है, ओर तुम्हारे गुस्से मै भी एक मान है, प्यार है.
बहुत सुंदर लगा आज का लेख.
धन्यवाद

Pramendra Pratap Singh said...

हर घर की तरह एक अद्भुत घटना, वाकई कभी दोष न देना घरवालों को।

निर्मला कपिला said...

mai raaj jee kee baat se bilkul sahamat hoon ye generation gap sadiyon se hai jab ham bhee bachhe the to shaayad hame bhee yahee lagataa thaa magar ab pata chalta hai ki ek maalee ko apne baag ko badhta foolataa dekh kar kitani khushee hotee hai vese lekh me sahee manodashaa kaa chitran kiyaa hai chalo aapko apne pita ke sapano par khraa utarne ke liye badhaai

रंजू भाटिया said...

माता पिता ऐसे ही होते हैं ...बच्चे के लिए सब कुछ करना और फिर उसकी कामयाबी में खुश होना ...यह बाते ही दिल को छु लेती है .लेख अच्छा लिखा है आपने ...खूब लिखो और अच्छा लिखो इसी शुभकामना के साथ

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....

Akanksha Yadav said...

आप लिख ही नहीं रहें हैं, सशक्त लिख रहे हैं. आपकी हर पोस्ट नए जज्बे के साथ पाठकों का स्वागत कर रही है...यही क्रम बनायें रखें...बधाई !!
___________________________________
"शब्द-शिखर" पर देखें- "सावन के बहाने कजरी के बोल"...और आपकी अमूल्य प्रतिक्रियाएं !!

somadri said...

pita hamesha apne bete me khud ko jeet hai..kya hua agar aapke papa seena thok kar garv ke saath kisi se parichay karate hai?
vinamr rahkar ise unka aashirwaad samajh kar grahan kar liya kaaro

सागर नाहर said...

पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ, इसके बाद की (नई)सारी पोस्ट पढ़ी, पर यह पोस्ट दिल को छू गई।
पाफ होते ही ऐसे हैं, दुनिया में एक पिता ही ऐसे होते हैं जो अपने बच्चे को अपने से सवाया (सफल) देख कर खुश होते हैं।
बहुत बढ़िया लगा, अब बाकी की पोस्ट भी देखता हूं।
॥दस्तक॥|
गीतों की महफिल|
तकनीकी दस्तक